मइके के सुरता

छत्तीसगढ़ी कहानियॉ भाग सात - मइके के सुरता

फूफू  के लिगरी म सातो ह भाई मन करा बांटा मांगे बर उमियागे। पंचइत सकेल के अपन ददा के जहिजाद म हिसा मांगिस। नित नियाव म लड़के सातो ह अपन ददा के जहिजाद म हिसा पा लिस। फेर बपरी के जीयत भर बर मइके के मया छुटगे। आगी लगे अइसन नियाव म जोन मया ल टोरथे। कीरा परय ऊकर मति म जेमन धन के पाछु मया जोरथे।
बिहाव के पाछु बेटी-माई ल मइके ले एक लोटा पानी के आस रइथे। तीजा पोरा अउ मातर मड़ई म नेवता हिकारी के अगोरा रइथे। तथे तो मइके के कुकुर ल घलो ससुरार म भाई बरोबर मान गवन करथे। सातो ह मुहांटी म बइठे-बइठे अपन तीजा लेवइया के अगोरा करत बइठे हे। येहु साल आए के आस तो नइ हे फेर का करबे सातो के मन मानबे नइ करय।
अपन दुवार म बइठे सातो ह सबो के लेगईया ल आवत-जावत देखत हे। सातो के मन के लालच के तेलई म मइके के सुरता डबके लागथे। सुरता म चुरत मन फुसुक-फुसुक रो परथे। गोहार पार के रोए म ओकरे फदित्ता होही। बपरी ल कोनो पुछ परही त का बताही। फूफू  ह अपन लालच बर सातो के मति बिगाड़े रिहिस। भाई-बहिनी अउ ननंद-भउजी के नता म जोझा पारे रिहिस। सातो ह मने मन अपन करम ल कोसत आजो तीजा लेवईया अगोरत हे।
सातो ह नहां खोर के बिहनिया ले तियार होगे। अलवा जलवा मुड़ी कोरे लकर-धकर नंदिया खड़ के पिपराही म आके बइठे हे। अवइया-जवइया मन ल टुकूर-टुकूर देखत हे। भादो के महीना म नंदिया ह मुड़ भर बोहावत रिहिस। नंदिया नरवा ह कातको जोझा पारे तीजा मनईया मन तो जा के रही। देवता बरोबर डोंगहार ह सबे झन ल ए पार ले ओ पार नहकावत हे। बांस भर पानी म तउरत डोंगा म सवार तिझयारिन मन ल देख-देख के सातो के मन निचट उदास होगे हे।
पछतावा के आंसू ले बोट बोटाय सातो के आंखी म नंदिया के ओ छोर ले डोंगा चड़हत अपन भाई दिखीस। पिपराही ले रटपटा के उठीस अउ चुंदी मुड़ी ल संवारत नंदिया कोती दऊड़गे। सातो के हांसी खुसी के ठिकाना नइ हे। नंदिया के छोर म खड़े अपन भाई के अगोरा करत पउर साल के तीजा ल सोरियावत हे।
सातो के दादा ह अपन बड़े बेटा पुनऊ ल किथे- सातो ल तीजा लाने बर आठे मान के चल देबे रे। आंहू किही त संग म लान लेबे। निंदई कोड़ई के दिन घलो चलत हे। दमांद कर जादा जोर-जबरई झन करबे। अब आज काल तो सब पोरा मान के आथे-जाथे। नंदिया नरवा के कारो बार अगवाके रेंग जबे।
उंचकहा मुंहा पुनऊ अधरसट्टी सुनिस। आठे मान के कांहा आठे के एक दिन अगाहू रेंग गे। पुनऊ ल सातो घर जाय बर पुचपुचाए। बारी म बोवाए खीरा ल झोला भर टोरिस। करेला अउ डोड़का के एकक ठन मोटरी गठिया के निकलगेेे सातो घर जाए बर।
पुनऊ अउ सातो के नानपन के हांसी दिल्लगी ह बर बिहाव होय के बाद घलो नइ छुटे रिहिस। संगे बर बिहाव होइस, संगे दूनो के गवन पठउनी होगे। सातो के ददा ह गांव के बड़का किसान रिहिस। घर म चीज बस कांही के खंगता नइ रिहिस। गांव म ऊंकरे सुती चले ते पाय के पुनऊ ह थोकिन अड़दली रिहिस।
ददा ह जाय ल केहे हे किके बारी ले घर नइ अइस मोटरी धरे सोज सातो घर रेंग दिस। घर ले बता के जातिस त भउजी ह रोटी पीठा जोरतिस। ददा ह बारी म गोठियइस सातो घर जाबे किके। पुनऊ ह कोनो ल आरो करे बिगर मोटरी भर साग भाजी धरके निकलगे। पुनऊ ह पैडगरी रद्दा म अकेल्ला रेगंत झोला के खीरा ल खावत-खावत जावत रिथे। नंदिया खड़ के पहुचत ले झोला ल अपने ह अधिया डरथे। सातो ल देहू किके आधा झोला खीरा ल बचाय घाट म पहुंचे हे। किंजर-किंजर के डोंगा देखत हे। काम कमई के दिन म डोंगा घलो कम चलत रिहिस। एके ठन डोंगा वाला रिहिस। उहू ह वो पार खड़े रिहीस।
कांहा डोंगा अगोरत रइहा किके पुनऊ ह मुड़ भर बोहावत नंदिया ल तऊर के नाहक गे। दूनो हाथ म एकक ठन मोटरी ल धरे हे। खीरा के झोला ल टोटा म अरोय हे। पार म नाहक के सबो समान ल टमड़िस। करेला अउ डोड़का के मोटरी तो बने रिहिस फेर खीरा ह बोहा गे रिहिस। पुनऊ ह सालेच के झोला भर खीरा धरके निकलथे। कोनो साल अपने ह खाते खात सिरवा डरथे। त कोनो साल नंदिया म बोहा जए। सातो ह करेला अउ डोड़कच ल पाथे।
कच्चा-कच्चा कुरता ल पहिने पुनऊ ह सातो घर पहुचिस। भाई ल देखके सातो ह मगन होगे। लोटा भर पानी दिस अउ पावं परिस। सुख्खा गमछा म मुड़ी कान ल पोछिस। पुनऊ ह मोटरी ल लमावत किथे- येदे बहिनी करेला अउ डोड़का लाने हवं। सातो किथे- खीरा घलो तो फरे होही भाई। खीरा काबर नइ लानेस। अतका ल सुन के पुनऊ ह दुच्छा झोला ल लमा देथे। दुच्छा झोला ल देख के सबो झन कठल के हांसथे।
अपन भाई के सुध म मगन हे सातो। खुशी के आंसू ल पोछथे अउ हांसत हांसत किथे- यहू साल एको ठन नइ बचाय भाई। कइसे पुनऊ भाई कलेचुप काबर हस। जब आथस तब दुच्छा झोला देखाथस। कहां करथस मोर बाटा के खीरा ल। सातो के गोठ ल सुन के डोंगा ले उतरत अनगइहा सगा ह सातो ल किथे- कोन ल काहत हस वो। मंै तो तोला नइ चिनहत हवं। अतका ल सुन के सातो के मन के भरम टुटगे। सातो ह अनचिनहार ल अपन भाई जान के गजब आस लगा डरे रिहिस।  उही आस के धुंधरा म ओला अनगईहा ह भाई दिखत रिहिस। बपरी ह निरास होके आंसू ल पोछत फेर पिपराही म लहुटगे।
सातो के मन म का बितिस होही जब अनचिनहार ल भाई जान के मया लड़ावत रिहिस। उहू अनगइहा ह नइ चिनहवं कइ दिस। एक घाव बहिनी की देतिस त ओकर का बिगड़ जतिस। सातो अपन मन मढ़ावत किसमत ल कोसत हे। आखिर गलती तो ओकरो कोती ले होए हे। सबो बने बने चलत रिहिस। एक दिन अचानक सातो के ददा बितगे। ददा के बिते के पाछु पुनऊ ह बहिनी ल बेटी बरोबर मया दुलार करे। तीजा पोरा म पुछे-गउछे। भउजी घलो सातो ल नोनी ले आगू एक भाखा नइ बोलत रिहिस। आगू के आगू ओकर बर लुगरा पाटा लेवत रिहिस। इही बात ह पुनऊ के फूफू  ल नइ सुहइस। पुनऊ करा अपन भाई के जहिजाद म हिसा मांगे बर आगे। पुनऊ मन एक भाई एक बहिनी हे ओइसने ओकर ददा मन घलो एक भाइ एक बहिनी रिहीस। झगरा लड़के फूफू  ह अपन नता तो टोरिस संग म सातो ल घलो जुझो दिस।
फूफू  ह घेरी बेरी सातो घर जाके ओकर भउजी के लिगरी लगावत काहय- सातो तोर भउजी ह सबे चीज बस ल अपन मइके म लेग-लेग के जोरत हे। तोर भाइ ह सिधवा हे अउ भउजी चाल बाज। चीज बस के राहत ले पुछत हे। सिरावन तो दे कुकुर नइ पुछे तोला। फूफू  ह तो अपने घर के आए अउ भउजी ह पर घर ले आए हे। इही सोच के सातो ह घलो फूफू  के बात म आगे अउ जुरे पंचइत म बाटा बर खड़ा होगे।
सातो मने मन गुनत हे। बाटा नइ मांगे रइतेवं त आज मोरो भाई लेगे बर आए रितिस। भउजी ह तीजा के जोरा करतिस। गुनते गुनत सातो ल पिपराही म बइठे बिहनिया ले संझा होगे रिहिस। सातो ह अपन मन ल मारत घर आए बर उठिस। रोनमुहा मुंह धरे घर जाना बनो नोहे किके सातो ह नंदिया के तिर म गिस। माड़ी भर म उतर के ठोमहा म पानी लेके मुह ल धोइस।
नंदिया भीतर ले मुंह धो के लहुटत रिहिस तभे सातो के पांव कुछू जिनिस अभरिस। हांथ ल बुड़ो के टमड़िस त सातो ल दू ठन मोटरा मिलिस। मोटरा भीतर म करेला अउ डोड़का बंधाय रिहिस। दूनो मोटरा ल धर के सातो पार म आवत रिहिस तभे आगू म एक ठन दुच्छा झोला बोहावत रिहिस। 
दुच्छा झोला अउ मोटरी ल पाके सातो के खुसी के ठिकाना नइ रिहिस। भाई नइ अइस त का होगे। भाई के चिनहा ह आगे। मइके के सुरता म उदास मन ल मढ़ावत सातो ह अपन घर लहुटगे। दुच्छा झोला ल धरे सातो घर म जाथे। घर म ओकर पुनऊ भाई चरिहा भर करेला अउ डोड़का ल धरे दुवारी म बइठे राहय। जाते साठ सातो ल किथे ते कहा गे रेहे बहिनी घर म तारा लगके। भांची अउ भांटो मन कहा हे। ओकर आंखी ल परतित नइ होत रिहिस कि सिरतो म पुनऊ भाई आगे हे। बोकबाय सातो ल हलावत पुनऊ किथे ते फेर खीरा बर नराज होगे का बहिनी। अतका ल सून के सातो के चेत आगे। पुनऊ अउ सातो बिते बखत ल भुलाके फेर तीजा के फरहार खईन।
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लेखक - जयंत साहू 
पता- ग्राम डूण्डा, पोस्ट- सेजबहार
जिला/ तह. रायपुर छ.ग. 492015 
मो. 9826753304
jayantsahu9@gmail.com

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