मनटोरा

छत्तीसगढ़ी कहानियॉ भाग दो- मनटोरा

चइत बइसाख के महीना तो बर बिहाव के सिजन आय। जेती देखबे तेती गढ़वा बाजा ह बाजत रइथे। किथे न मांग फागुन म मंगनी-जचनी, चइत बइसाख म बर-बिहाव अउ काम बुत ल उरका के सगा घर लाड़ू बरा बर रतियाव। चड़ती मंझनिया के बेरा आमा बगइचा के तिरे-तिर दू तीन ठन बइला गाड़ी आवत रिहिस। गाड़ी ह गजब सजे-धजे रिहिस। बइला के सिंग म चकमकी रंग लगाय, पीठ म मखमल के लादना लदाय अउ टोटा म कांसा के बड़े-बड़े घांघड़ा पहिराय। टोटा के घांघड़ा अउ पावं के घुंघरु के छमक-छमक आरो ल पाके के लइका मन दोरदिर-दोरदिर देखे बर आथे। आगू पहुंच के देखथे तेमन पाछु वाला मन ल गोहर पार के बताथे। 
वाहद रे ... बरात गाड़ी आवथे ... बरात गाड़ी ...।
सबो लइका मन सकलाके एक ले सेक गोठ करथे एक झन किथे- आगू म वहिदे झांपी माड़े हे ते गाड़ी म दूलहा बइठे होही अउ वोकर संग ढेड़हा होही। दूसर लइका किथे- बीच के गाड़़ी म बरतिया मन होही। वोतके बेरा ठुक ले पाछु गाड़ी ले मोहरी, निसान के आरो आथे। बाजा गाजा के आरो पाके सबो लइका मन गोहार पारके नाचे लगगे। इकर नचई-कुदई न देखके बरतिया टूरा मन घला मसतियागे। बगीचा के आमा छांव म गाड़ी ल रोक के बजनिया अउ बरतिया मन नाचे-कुदे ल लगगे। कोनो काहथे रोंगोबती बजा, कोनो काहथे पानवाला बाबू बजा। फेर लइका मन के का ए पार अउ का ओ पार, सबो पार म बिकट नाचिस। 
गाड़ी बइला अउ भीड़-भड़क्का देख के बगइचा के रखवार लछमन ह घलो आगे। रखवार ल देख के सबो झन कलेचुप ठाड़ हो जथे। 
लछमन हर एक झन बरतिया कर जाके पुछिस- भइया दुलहिन के का नाव हे?.... दुलहिन के का नाम हे गा ....।
रखवार के पुछई ह बरतिया मन ल अलकरहा लागिस। आते सांठ दुलहिन के नाम काबर पुछथे। कोनो जवाब नइ दिस। मने मन सोचे काहा ले आय हव, काहां जाहा पुछे ल छोड़ के दुलहिन के नाव काबर पुछथे। अनगइहा मनखे का जानय लछमन के किस्सा ल। ओतो ओरभेट्टा म सपड़गे। फेर गांव के लइका मन जानत रिहिस ओकर आदत बेवहार ल। लछमन ह गांव म जेन भी बरात आथे-जाथे तिकर करा अइसनेच पुछथे।
सबो नइका मन हांसी उड़ात किथे- मनटोरा नाम हे मनटोरा। मनटोरा माने मन ल टोरा। अतका ल सुन के जब देखबे तब मोर हांसी उड़ाथे किके। लउड़ी ल धर के दउड़थे। थोकन दउड़ीस ताहन हफरगे। रखवार ह थथमराय आमा मेड़ म लोरहगे। लइका मन छूलंबा होगे।
लछमन ह अपन मन के पिरा ल मन म धरे उपर वाला डहर सुध लमाय आमा पेड़ म ओधगे। लछमन ल बइहा जान के बरतिया मन अपन-अपन गाड़ी चड़ के मनटोरा अउ लछमन के बिसे म आनी-बानी के बात बनावत चलदिस अपन रद्दा। येती बर लका मन भागत-भागत गांव आके लछमन अउ मनटोरा के बिसे म आनी-बानी के किस्सा गढ़हत रिथे। इकर गोठ ल सुन के बिजउ कोतवाल समझगे कि येमन फेर लछमन ल चिड़ा के आय हे। लइका मन ल समझावत कोतवाल किथे- वोला झन बिजराए करा रे, वहू बड़ पढ़े-लिखे अउ दाउ घर के लइका आए फेर का करबे ओकर मती ह कती टरक दिस हे।
नानपन म लछमन अउ सतरोहन दूनो भाइ बड़ हूसियार रिहिस। पांचवी पास करे के बाद भरोसी दाउ ह लछमन ल साहर भेज दिस पढ़े बर। दूनो लइका ल बाहिर नइ पठोवं किके सतरोहन ल गांवे के स्कूल म पढ़ाइस। लछमन ह साहर म रिके सहरिया लच्छू होगे। भरोसी दाउ करा बेरा-बेरा म चि_ी-पाती आवत राहय। भरोसी ह घला बेरा-बेरा म मुलाकात करे बर जात राहय।
बड़े घर के लइका, खाय-पिये के कमती नइ रिहिस। बने जिकर करके पढ़हिस अउ बने-बने काम बुता घला पा लिस। भरोसी दाउ ह लइका मन बाड़गे कइके बर बिहाव के चेत लमइस। परोसी गांव के बिसाहू के बेटी मनटोरा ल मन घलो कर डरिस। मनटोरा घला पढ़े-लिखे सगियान होगे रिहिस। दूनो दाउ बइठ के नता जोड़ डरिस। येती लछमन ह साहर म राहत एक झन मंजु नाव के लड़की संग मया कर डरिस। दूनो एक दूसर ल नजर भर देखे। दूनो म गोठ बात होवे। मंजु अउ लच्छू के मया दिनो-दिन गढ़हावत रिहिस। एक दिन संझा बेरा लछमन अउ ओकर संगवारी मन सेकलाय रिहिस। मंजु घलो रिहिस। चपरासी ह चि_ी लान के दिस। 
लछमन ह अपन ददा के चि_ी पाके तुरते खोल के पढ़हिस। ददा ह लिखे रिहिस बइसाख म तै गांव आजा, हमन तोर बिहाव मड़ा डरे हाबन। मेहा बिसाहू के नोनी मनटोरा के संग तोर रिस्ता जोड़ डारेहवं। बाकी बात गांव आके होही। आसिरवाद। 
चि_ी पढ़ के लछमन के मन टूटगे फेर ओकर मयारु के मन म खुसी हमागे। लछमन के संगवारी मन ओकर पत्नी के नाव सुन के हांस परिस। का का नाव रिथे यार गांव म .. मनटोरा। जइसे लछमन ल लच्छू करेन ओइसने मनटोरा ल घला टोर के मनटो करे ल परही। मनटोरा माने मन ल टोरा।
अतेक मजाक ल सुन के मनटोरा नाव ले लछमन ल चिड़ होगे। अउ तुरते परन कर डरिस कि मंै भले कुवारा रहि जहूं फेर ये मनटोरा नांव के लड़की संग बिहाव नइ करवं। लछमन के मयारु मंजु ह सरम के मारे नइ बता सकिस कि मिही ह मनटोरा आवं जेकर संग तोर रिस्ता जुरे हे। लछमन ह अपन मयारु के हाथ ल धरके किथे मंै तोरे संग बिहाव करहंू। फेर घर वाला मनके बात राखे बर गांव जायच ल परही। मंजु ह घला किथे घर वाला मन के बात राखे बर जाके देख लेना एक बेर मनटोरा ल। ओतो जानत राहय कि मिही ह मनटोरा आवं अउ मुंही ल आके देखही। उहें मनटोरा अउ मंजु नाव के भरम मिटा जही। 
लछमन ह कपड़-लत्ता जोर-जंगार के गांव आइस आके तुरते लड़की देखे बर निकलगे। मनटोरा घलो गांव आके घर म लछमन के अगोरा करथे। लछमन के मन म तो मनटोरा..मनटोरा नाव गुंजत रिथे। मनटोरा के घरो म नइ पहुचिस, आधा दुरिहा ले वापस आगे। आके अपन ददा कर लड़की ल नापसंद कर दिस। 
भरोसा दाउ ह घलोक बड़ा जिद्दी मनखे ताय। बरपेली बिहाव के तियारी कर दिस। बाप बेटा म काहा सुनी होगे। गुस्सा-गुस्सा म लछमन ह घर छोड़ के निकलगे। भरोसा ह अबड़ खोजिस फेर नइ पाइस। गांव-गांव म बदनामी हो जही सगा-सोधर म नेवता होगे किके दूनो दाउ सुनता होइस। 
उही तिथि म मनटोरा अउ सतरोहन के बिहाव कर दिस। मनटोरा ह तकदीर के फैलसा मानके सतरोहन ल अपन पति मान लिस। लछमन ल सपना समझके भुलागे। बर-बिहाव झरे के बाद लछमन घर लहुटिस। ददा ह रिस के माने नइ बोलिस। भाई ह भाई के मया म गोठियालिस।
सतरोहन ह अपन बाई ल हांक पारिस पानी बर। मनटोरा ह लोटा म पानी धर के निकलिस। लछमन ह अपन भाई बहु के चेहरा ल देखके ठाड़ सुखागे। सांस अरहजगे। तन पथरा होगे। मनटोरा घलो आंखी फारे देखते रइगे। ओतगे बेरा ओकर ददा ह आके दूनो के परचे कराथे- बहु ये तोर कुरा ससुर आए मुड़ी ल ढांक के दुरिहा ले पांव पर ले। लछमन के मुड़ म टंगिया परगे, अपन मयारु ल छोटे भाई के बहु बने देखके। ओतका बेर ले लछमन के सुध-बुध हरागे। सुरता रिहिस त सिरिफ  मनटोरा नाव। ये नाव ह लछमन ल बाय-बैरासु कस लगगे। एक नाव के पाछु अपन मयारु बरो दिस। ये नाम ल धरे लछमन ह बइहा होगे। धन-दौलत घर-दुवार कांहि के सुध नइहे। रमता जोगी होके घर दुवार ल तियाग दिस। समरोहन अउ मनटोरा ह समाज म दाई-ददा के मान ल राखत बिधाता के लेखा मान के अपन घर संसार म रमगे। लछमन ह घर-परिवार ले दूरिहा-दूरिहा रई के बनेच दुरिहागे। दाउ के लइका होके जिहे दाना-पानी मिलथे बुता काम करत एक मुठा खात परे रिथे। ददा अउ भाई करा रितिस ह ओकर जतन पानी करतिस, फेर ओकर तो कोनो ठिकाना नइ राहत रिहिस। रमता जोगी बरोबर ए गांव ओ गांव बइहा-भूतहा कस भटकत राहय। धीरे-धीरे घरो के मन सोर-खबर ले बर छोड़ दिस। काबर कि घर ल रितिस तव अउ जादा दुख होतिस। जिहे ओकर मन सुख पावे तिहे रेहे राहय। अऊ आगू के किस्सा ल तो सरी गांव जानत हे। 
कोतवाल के मुंह ले लछमन के अइसन किस्सा सुन के लइका मन मने-मन एक आसु रो डरिस। कोतवाल संग लइका मन अपन करनी के छिमा मांगे बर लछमन करा गिस। बगीचा म ओधे लछमन करा सबो लइका मन छिमा मांगिस फेर ओतो चिट-पोट काहि नइ करिस। कोतवाल ह ढकेल के हूत पारिस। लछमन के मुरदा देह पट ले भुइया म चितियागे अउ आज इही मेर लछमन अउ मनटारो के किस्सा तको सिरागे।
 ----------------------सिरागे --------------------------

लेखक - जयंत साहू 
पता- ग्राम डूण्डा, पोस्ट- सेजबहार
जिला/ तह. रायपुर छ.ग. 492015 
मो. 9826753304
jayantsahu9@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

my first STORY BOOK

my first STORY BOOK
>>Read online

Click this image in download PDF